उग्र-राष्ट्रवाद या अतिवादी राजनीति के उदय के कारण उन्नीसवीं शताब्दी के अंतिम वर्षों विशेषतः 1890 के पश्चात भारत में उग्र राष्ट्रवाद का उदय प्रारंभ हुआ तथा 1905 तक आते-आते इसने पूर्ण स्वरूप धारण कर लिया। किंतु इसके पीछे क्या कारण थे ? कांग्रेस की अनुनय-विनय की नीति से ब्रिटिश सरकार पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा तथा वे शासन में मनमानी करते रहे। इसके प्रतिक्रियास्वरूप इस भावना का जन्म हुआ कि स्वराज्य मांगने से नहीं अपितु संघर्ष से प्राप्त होगा। संवैधानिक आंदोलन से भारतीयों का विश्वास उठ गया। अतः संघर्ष द्वारा स्वतंत्रता प्राप्त करने की जिस भावना का जन्म हुआ उसे ही उग्र राष्ट्रवाद की भावना कहते हैं।भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का एक दल इसी भावना का कट्टर समर्थक था। इस दल का मत था कि कांग्रेस का ध्येय स्वराज्य होना चाहिए, जिसे वे आत्मविश्वास या आत्म-निर्भरता से प्राप्त करें। यह दल उग्रवादी कहलाया। जिन तत्वों के कारण उग्र राष्ट्र-वाद का जन्म हुआ, उनमें प्रमुख निम्नानुसार हैं- अंग्रेजी राज्य के सही स्वरूप की पहचान अंग्रेजों द्वारा कांग्रेस के प्रार्थना-पत्रों एवं मांगों पर ध
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